सीतापुर आंगनवाड़ी भर्ती घोटालाः अंधेर नगरी की जीवंत तस्वीर

चंद्रशेखर प्रजापति
सीतापुर। जनपद सीतापुर इन दिनों जिस भयावह भ्रष्टाचार की चपेट में है, वह न केवल सरकारी तंत्र की असफलता को उजागर करता है, बल्कि सामाजिक न्याय और पारदर्शिता की नींव को भी हिला देता है। बात हो रही है आंगनबाड़ी भर्ती घोटाले की, जिसने जिले की महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। आमरण अनशन की चेतावनी और प्रशासन की संवेदनहीनता
इस पूरे प्रकरण में सबसे साहसी कदम समाजसेवी पुष्पेंद्र सिंह ने उठाया है, जिन्होंने सैकड़ों आंगनबाड़ी अभ्यर्थियों के साथ जिला मुख्यालय विकास भवन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल /आमरण अनशन शुरू किया है। यह विरोध उस व्यवस्था के विरुद्ध है, जिसमें योग्य, मेहनती और आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थियों को जानबूझकर दरकिनार कर भ्रष्टाचार के आधार पर चयन सूची तैयार की गई। खेद की बात यह है कि समाचार लिखे जाने तक कोई भी संबंधित अधिकारी न तो धरना स्थल पर पहुंचे और न ही कोई आश्वासन देने का प्रयास किया। यह प्रशासनिक संवेदनहीनता जनता के आक्रोश को और गहरा करती है सीतापुर के कसमंडा, सिधौली, गोदलामऊ, मिश्रिख, खैराबाद, हरगांव, मछरेहटा, रेउसा, परसैंडी, महोली, बिसवां, पिसावां जैसे लगभग सभी ब्लॉकों में 537 पदों पर आंगनबाड़ी भर्ती की प्रक्रिया प्रस्तावित थी। परंतु इन भर्तियों को पारदर्शी ढंग से कराने के स्थान पर इन्हें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया। अभ्यर्थियों का आरोप है कि सीडीपीओ कार्यालय में तैनात बाबुओं और सुपरवाइज़रों ने लाखों रुपये रिश्वत लेकर चयन किया। डीपीओ कार्यालय से मिलीभगत की बात सामने आने से यह स्पष्ट हो गया है कि यह भ्रष्टाचार केवल निचले स्तर तक सीमित नहीं, बल्कि यह संगठित अपराध का रूप ले चुका है।
फर्जी मेरिट, घूस का खेल और धमकियां। रिश्वत के बदले चयन: आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन योग्य अभ्यर्थियों को दरकिनार कर अमीर व रसूखदार उम्मीदवारों को चुना गया। फर्जी मेरिट लिस्ट: योग्य उम्मीदवारों को कम अंक देकर सूची से नीचे रखा गया जबकि पैसे देकर चयनित हुए अभ्यर्थियों को ऊँचे रैंक दिए गए। चयन सूची में बार-बार फेरबदल: कुछ प्रभावशाली लोगों के हस्तक्षेप से चयन सूचियों में निरंतर बदलाव किए गए। धमकियों का खेल: जब अभ्यर्थियों ने आवाज़ उठाई, तो उन्हें धमकाया गया कि "कोर्ट में मामला ले जाओ, कुछ नहीं होगा। जो रिश्वत देता है, वही चयनित होता है।" सीडीपीओ और डीपीओ पर लगे गंभीर आरोप सूत्रों की मानें तो
जिला कार्यक्रम अधिकारी (DPO) द्वारा लगभग 15 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है।
अकेले सिधौली ब्लॉक से लाखों की अवैध वसूली हुई है। कसमंडा ब्लॉक में खुलेआम घूस मांगी गई और कॉल रिकॉर्डिंग्स सोशल मीडिया पर वायरल हैं, बावजूद इसके कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई।
मांगें
1. निष्पक्ष एवं उच्चस्तरीय जांच — ताकि दोषियों को बेनकाब किया जा सके।
2. लोकायुक्त या सतर्कता आयोग से जांच — ताकि उच्च स्तरीय मिलीभगत का खुलासा हो।
3. RTI के तहत दस्तावेजों का प्रकाशन — ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जा सके।
4. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई — मुकदमा दर्ज कर कठोर दंड सुनिश्चित किया जाए।
5. पूरी भर्ती प्रक्रिया को दोबारा निष्पक्ष रूप से संचालित किया जाए — ताकि योग्य अभ्यर्थियों के साथ न्याय हो सके।
जनपद सीतापुर में आंगनबाड़ी भर्ती घोटाला केवल आर्थिक भ्रष्टाचार का मामला नहीं है, बल्कि यह महिलाओं, बेरोजगार युवाओं और समाज के कमजोर तबकों के अधिकारों के साथ एक क्रूर मज़ाक है। यदि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह मामला केवल एक प्रशासनिक कलंक नहीं रहेगा, बल्कि जनता के लोकतंत्र और विश्वास पर एक गहरा प्रहार बन जाएगा। क्या सीतापुर कभी अंधेर नगरी से न्याय की नगरी बन पाएगा? यह अब जनता की चेतना, मीडिया की भूमिका और न्याय प्रणाली की सक्रियता पर निर्भर है।
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