सीतापुर आंगनवाड़ी भर्ती घोटालाः जब पीडिता ही बन गई निशाना, प्रशासन मौन"

Apr 16, 2025 - 19:09
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सीतापुर आंगनवाड़ी भर्ती घोटालाः जब पीडिता ही बन गई निशाना, प्रशासन मौन"

चंद्रशेखर प्रजापति

सीतापुर। जनपद में आंगनबाड़ी भर्ती घोटाले का मामला दिनोंदिन गंभीर होता जा रहा है। एक ओर जहां इस मामले में करोड़ों रुपये के लेन-देन के आरोप सामने आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पीड़ितों को न्याय की जगह धमकियां, बदनामी और अनदेखी का सामना करना पड़ रहा है। सिधौली की सामाजिक कार्यकर्ता और आवेदिका शीला रावत की आपबीती इस पूरे भ्रष्टाचार की बानगी है, जो सिस्टम की संवेदनहीनता और मिलीभगत को उजागर करती है। शीला रावत ने बताया कि सिधौली सीडीपीओ कार्यालय में तैनात बाबू पूनम द्विवेदी ने उनसे ₹3 लाख की मांग की थी।

यह बातचीत की कॉल रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है और उन्होंने इसे मीडिया व संबंधित अधिकारियों को भी प्रेषित किया है। उन्होंने IGRS पोर्टल के माध्यम से जिलाधिकारी को लिखित शिकायत दी, परंतु अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। यही नहीं, जांच के लिए जब खैराबाद की सीडीपीओ को नियुक्त किया गया, तो उन्होंने रिकॉर्डिंग को नकारते हुए यह कह दिया कि उसमें "पैसे की बात स्पष्ट नहीं है"। 

शीला का कहना है कि —"हमने स्पष्ट कहा कि फोन पर कोई सीधे पैसे की बात नहीं करता, पर अंदाज़, इशारे और संवाद सब कुछ कह जाते हैं।" पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि सीडीपीओ और उनके साथ जुड़े कुछ लोग उन्हें तरह-तरह से डराने और मैनेज करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें बदनाम करने की योजना रची गई और उनके विरुद्ध झूठी कहानियां फैलाने की भी साजिश की गई। सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि जब संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया में सीडीपीओ कार्यालय की भूमिका पर ही सवाल उठ रहे हैं, तो जांच उन्हीं के विभाग के अधिकारियों से कराना कैसे निष्पक्ष हो सकता है।

यह सीधा-सीधा हितों का टकराव है। शीला रावत कहती हैं —"अगर दोषी ही जांचकर्ता बन जाएं, तो पीड़ित को कब, कहां और कैसे न्याय मिलेगा?" उनकी मांग है कि यह मामला स्वतंत्र जांच एजेंसी (SIT, CBCID या लोकायुक्त) को सौंपा जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके। शीला ने बताया कि जिले के उच्च अधिकारी इस गंभीर घोटाले पर पूरी तरह से मौन हैं। कोई भी अधिकारी उन्हें सुनने को तैयार नहीं है। न तो दोषियों पर कोई कार्रवाई हुई, न ही पीड़िता को संरक्षण मिला। न्याय की उम्मीद में अब शीला रावत ने निर्णायक कदम उठाने का मन बना लिया है।

 उन्होंने बताया कि —"कल मैं विकास भवन में आमरण अनशन कर रहे सत्याग्रहियों का साथ दूंगी और इस भ्रष्ट व्यवस्था के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद करूंगी।" सीतापुर का आंगनबाड़ी भर्ती घोटाला यह बताने के लिए काफी है कि जब सिस्टम में बैठे लोग ही भ्रष्टाचार में शामिल हों, तो पीड़ित को न्याय के लिए किस हद तक संघर्ष करना पड़ता है। शीला रावत की लड़ाई न केवल उनके हक की है, बल्कि हर उस महिला की आवाज़ है जो प्रशासनिक भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती है। यदि शासन-प्रशासन अब भी नहीं चेता, तो यह मामला एक और सामाजिक विद्रोह का बीज बन सकता है।

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