मुमताज़पुर में कवियों ने बांधी समा इन्द्रधनुषीय काव्य पाठ से श्रोता हुए आनंदित

सरैया/सीतापुर। कविता और संस्कृति का उत्सवम हमूदाबाद तहसील क्षेत्र के पहला ब्लाक के मुमताजपुर गाँव में आयोजित कवि सम्मेलन ने साहित्य प्रेमियों के हृदय में नई ऊर्जा का संचार किया। गाँव की सरजमीं पर हुए इस भव्य आयोजन में कवियों ने अपने-अपने भावपूर्ण काव्य-पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मधुर कंठ के धनी श्री रोहित विश्वकर्मा ने अपनी सधी हुई मंच संचालन कला से पूरे कार्यक्रम को रोचक और जीवंत बनाए रखा। वहीं ग्राम चेतना के कवि श्री अंकित प्रजापति का उत्कृष्ट संयोजन सराहनीय रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता चन्द्रशेखर ने की। श्रोताओं का उत्साह देखते ही बनता था, जिन्होंने कवियों की रचनाओं पर बार-बार तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल को गूंजा दिया।
आयोजकों को भी श्रोताओं ने भरपूर प्यार और दुलार से नवाजा। कवि आलोक आदर्श ने अपने संवेदनशील काव्यपाठ से मानवीय जीवन की पीड़ा और उम्मीदों को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। उनकी पंक्तियों में भावनाओं का गहरा समंदर छलकता दिखा। कवि संदीप सृजल ने तमस और प्रकाश के द्वंद्व को काव्य में ढालकर श्रोताओं को सोचने पर विवश किया। उनका संदेश स्पष्ट था कि कठिन अंधेरों में भी उम्मीद की ज्योति जगमगाती है। मुख्य अतिथि डॉ. देवेंद्र कश्यप ‘निडर’ ने अपनी ओजस्वी कविताओं से श्रोताओं का मनोबल बढ़ाया।
उनकी रचनाओं ने सामाजिक चेतना और राष्ट्रीयता की गूंज पैदा की। कवि शैलेश ‘माही’ बाराबंकी ने पारिवारिक मूल्यों और माँ-बाप के महत्व को बेहद भावपूर्ण ढंग से रखा। पिंकी अरविन्द प्रजापति ने माँ की महिमा का स्तुति-गान कर सबका दिल जीत लिया। पूजा वर्मा ने अपनी रचना के माध्यम से कर्म और आत्मविश्वास का संदेश दिया—“सभी काम भगवान करेंगे इस धोखे में मत रहना।” इसी क्रम में कवि अनिल अनिकेत ने अपने सशक्त वक्तव्य में कहा—
“खापत इश्क की बदल गई है यारों, जिसे जलील होना हो मुहब्बत कर ले।”
उनकी पंक्तियों ने श्रोताओं को गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया। यह कवि सम्मेलन केवल कविताओं का मंच नहीं था, बल्कि यह गाँव की सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक सरोकार और मानवीय भावनाओं का उत्सव भी था। इस मौके पर कपोटर प्रजापति, प्रभाकर यादव, पवन भार्गव, संदीप यादव, रामेंद्र जी, रामसिंह वर्मा, नरेंद्र यादव, प्रमोद प्रजापति, अमरेश सिंह, ठाकुर सिंह मौजूद रहे।
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