मानव - वन्यजीन संघर्ष पर लोगों को जागरूक करने की जरुरतः डां. सर्वेन्द्र विक्रम

चंद्रशेखर प्रजापति
सीतापुर : “सामुदायिक सहभागिता और लोक मीडिया के माध्यम से वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसे ज्वलंत मुद्दों पर जनजागरूकता फैलाने हेतु जिला स्तरीय कार्यशाला” का भव्य शुभारंभ दिनांक 23 जून 2025 को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में हुआ। यह कार्यक्रम भारत सरकार की संस्था राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (NCSTC) तथा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड एडवांस्ड स्टडीज के संयक्त तत्वाधान में आयोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व निदेशक, बेसिक शिक्षा, उ.प्र. डॉ. सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में मानव अपनी जरूरत की पूर्ति के लिए वन्यजीव क्षेत्रों में प्रवेश करता जा रहा है। अब समय आ गया है कि लोगो को इसके प्रति जागरूक किया जाए, अन्यथा वन्य जीव और मानव संघर्ष बढ़ता जाएगा जिसके परिणाम घातक होंगे।
अध्यक्षीय संबोधन में राजेन्द्र सिंह, प्राचार्य/ उप शिक्षा निदेशक, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, खैराबाद, सीतापुर ने ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षणथियों का मार्गदर्शन किया और कार्यशाला में विकसित हुयी विज्ञान आधारित पटकथा के आधार पर अपने -अपने विद्यालय और गाँव में विज्ञान पुतुल नाटक आयोजित करने को प्रोत्साहित किया।
आई एम ए एस के कार्यकारी सचिव डॉ. वी. पी. सिंह, ने कहा कि समाज में ऐसा कुछ नहीं जो विज्ञान से जुड़ा न हो। इसलिए विज्ञान संचार अति आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्र जहाँ आज भी आधुनिक संचार माध्यम नहीं पहुँच रहें है। वहाँ विज्ञान जैसे विषय को परम्परागत माध्यमों से प्रभावशाली तरीके से प्रसारित किया जा सकता है। इसके लिए कठपुतली (पुतुल) मध्यम अहम भूमिका निभा सकता है।
लोक मीडिया विशेषज्ञ श्रीनारायण श्रीवास्तव ने कठपुतली कला के माध्यम से वैज्ञानिक जागरूकता के साथ-साथ वन्यजीव संरक्षण तथा मानव-जानवर टकराव की रोकथाम जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर आकर्षक प्रस्तुति दी ।
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. तारिक बदर, पूर्व नियंत्रक, सीएसआईआर-एचआरडीसी, नई दिल्ली ने वैज्ञानिक सोच के प्रचार-प्रसार में पारंपरिक मीडिया की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते टकराव को समझने और उसका समाधान खोजने के लिए भी वैज्ञानिक सोच और सामुदायिक सहभागिता अत्यंत आवश्यक है।
इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ में रहे डॉ. नवनीत सिंगल ने ‘सिंगल यूज’ प्लास्टिक के दुष्परिणाम पर चर्चा करते हुए इसके निवारण के भी उपाय बताए।
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. रंजीत कुमार ने बताया कि यह कार्यशाला पाँच दिन चलेगी, जिसमे प्राथमिक विद्यालयों के 30 शिक्षक-शिक्षकाएँ प्रतिभाग कर रहे है। ये सभी शिक्षक ग्रामीण क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए पुतुल निर्माण, पटकथा लेखन एवं नाट्य मंचन सीख रहें हैं। इसके उपरांत अपने क्षेत्रों में मानव वन्य जीव संघर्ष, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पर्यवरण और स्वच्छता के बारे इन्ही माध्यमों से प्रस्तुति देंगे।
आगामी दिनों में वन विभाग सब डिविजनल अधिकारी विनोद यादव, भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. वीपी शर्मा , बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के जनसंचार विभाग से डॉ. अरविंद कुमार सिंह तथा अन्य कई विज्ञान संचारक अपना व्याख्यान देंगे।
चित्र परिचय १ : मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व निदेशक, बेसिक शिक्षा, उ.प्र. डॉ. सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह को सम्मानित करते तारिक बदर व डॉ. वीपी सिंह
चित्र परिचय २ : डायट सीतापुर में चल रही कार्यशाला में प्रतिभाग करते शिक्षक
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