सीतापुर मे आंगनवाड़ी भर्ती को लेकर कौशल किशोर गुहार: न्याय की पुकार और जन आंदोलन की गूंज

Apr 30, 2025 - 19:15
Apr 30, 2025 - 19:19
 0  16
सीतापुर मे आंगनवाड़ी भर्ती को लेकर कौशल किशोर गुहार: न्याय की पुकार और जन आंदोलन की गूंज

चंद्रशेखर प्रजापति

सीतापुर/जनपद सीतापुर इन दिनों आंगनबाड़ी भर्ती घोटाले को लेकर उबाल पर है। जिले भर की सैकड़ों पीड़ित आवेदिकाएं भ्रष्टाचार और पक्षपातपूर्ण चयन प्रक्रिया के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर रही हैं। हाल ही में इन आवेदिकाओं ने पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर के लखनऊ स्थित आवास पर पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। मंत्री ने पीड़ितों की बात को गंभीरता से लेते हुए उन्हें न्याय का आश्वासन दिया और मुख्यमंत्री से इस विषय में शीघ्र मुलाकात कराने की बात कही।

यह आंदोलन अब एक स्थानीय विरोध प्रदर्शन से आगे बढ़कर जनांदोलन का रूप ले चुका है। इसके नेतृत्व में समाजसेवी पुष्पेंद्र प्रताप सिंह हैं, जो भारतीय किसान संघ (अवध प्रांत) के कसमंडा ब्लॉक अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने जिले की विभिन्न विकास खंडों—जैसे कसमंडा, सिधौली, गोदलामऊ, मिश्रिख, खैराबाद, हरगांव, मछरेहटा, परसेंडी, महोली, बिसवां, महमूदाबाद—से सामने आई शिकायतों को एकत्र कर संगठित स्वर प्रदान किया है।

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

भर्ती प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। कई मामलों में अभ्यर्थियों को विधवा या तलाकशुदा दर्शाकर फर्जी आधार पर चयनित किया गया, जबकि ग्राम प्रधानों द्वारा उन्हें अविवाहित प्रमाणित किया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए ऑडियो क्लिप्स और दस्तावेजों ने इस घोटाले की पुष्टि की है। कई सीडीपीओ, सुपरवाइजर और लिपिकों पर रिश्वत लेने, धमकी देने और शासनादेश की अवहेलना करने के आरोप लगाए गए हैं। एक महिला अधिकारी द्वारा ज्ञापन फेंक देने की घटना ने प्रशासनिक अमर्यादा की सारी सीमाएं पार कर दीं।

1. निष्पक्ष जांच – लोकायुक्त, सतर्कता आयोग या न्यायिक एजेंसी द्वारा।

2. दोषियों पर कार्रवाई – एफआईआर दर्ज कर तत्काल निलंबन।

3. भर्ती रद्द कर पुनः प्रक्रिया – पारदर्शी तरीके से चयन प्रक्रिया दोबारा चलाई जाए

4. RTI के माध्यम से पारदर्शिता – भर्ती से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएं।

04 अप्रैल से 24 अप्रैल तक पीड़ित आवेदिकाएं कई बार जिला मुख्यालय पर धरना, प्रदर्शन और ज्ञापन सौंप चुकी हैं। अब उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह में न्यायिक कार्रवाई नहीं हुई, तो वे लखनऊ तक पैदल मार्च कर मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष आमरण अनशन करेंगी।

यह मामला मात्र एक भर्ती घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन हजारों मेहनती युवाओं के भविष्य का प्रश्न है, जिन्होंने नियमों पर विश्वास कर आवेदन किया था। यदि समयबद्ध और निष्पक्ष जांच न हुई, तो यह शासन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गहरा प्रश्नचिह्न बनेगा।

शासन-प्रशासन से अपेक्षा है कि वह इस जन आंदोलन की संवेदनशीलता और गंभीरता को समझे, और समय रहते न्यायिक कार्रवाई कर पीड़ितों को न्याय दिलाए।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow