स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमला बर्दास्त नहीः ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन उत्तर प्रदेश की कठोर कार्यवाही की मांग

रिपोर्टर/चंद्रशेखर प्रजापति
सिधौली/सीतापुर। जनपद की महोली तहसील में दैनिक जागरण के निर्भीक पत्रकार राघवेन्द्र वाजपेयी की नृशंस हत्या लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर कायरतापूर्ण हमला है। यह घटना न केवल पत्रकारिता जगत के लिए, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। पत्रकारिता किसी भी लोकतांत्रिक देश की आत्मा होती है। यदि पत्रकारों को निष्पक्ष रूप से अपनी जिम्मेदारी निभाने से रोका जाएगा, और उन्हें भयभीत करने के लिए इस प्रकार की घटनाएं घटित होंगी, तो यह लोकतंत्र को एकपक्षीय बनाने का षड्यंत्र होगा। स्व. राघवेन्द्र वाजपेयी लंबे समय से भूमि और अनाज की खरीद में हो रहे भ्रष्टाचार और जनता के शोषण को उजागर कर रहे थे। उनकी हत्या से स्पष्ट है कि सच्चाई को सामने लाने वाले पत्रकारों के लिए अब भी खतरा बना हुआ है।
सिधौली में पत्रकारों का आक्रोश
इस जघन्य कृत्य के विरोध में सिधौली के सैकड़ों पत्रकारों ने एकत्र होकर उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और न्याय की मांग की। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन उत्तर प्रदेश एवं समस्त पत्रकार समुदाय इस घटना की घोर निंदा करते हुए निम्नलिखित माँगें रखता है—
1. स्वर्गीय राघवेन्द्र वाजपेयी के परिवार को तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाए।
2. पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की सुरक्षा के लिए सरकार विशेष नीति बनाए और कठोर कदम उठाए।
3. पीड़ित परिवार को सरकार द्वारा ₹50 लाख (पचास लाख) की आर्थिक सहायता दी जाए।
4. दिवंगत पत्रकार के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
5. सरकार एवं प्रशासन यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में किसी भी पत्रकार के साथ इस प्रकार की घटना न हो और दोषियों को कड़ी सजा मिले।
आंदोलन की चेतावनी
यदि सरकार और प्रशासन शीघ्र आवश्यक कदम नहीं उठाते हैं, तो समस्त पत्रकार समुदाय आंदोलन के लिए बाध्य होगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
उपस्थित पत्रकार
इस विरोध प्रदर्शन में शरद मिश्र, दीपू बाजपेई, संजय पांडे, उमेश बाजपेई, हिमांशु शुक्ल, चंद्रशेखर प्रजापति, अतुल तिवारी, गुरु प्रीत सिंह, पंकज सिंह, मोहित श्रीवास्तव, राजन भार्गव समेत सैकड़ों पत्रकार मौजूद रहे।
पत्रकारों की सुरक्षा सिर्फ उनका नहीं, बल्कि पूरे समाज का मुद्दा है। यदि सच्चाई को उजागर करने वालों को दबाने की कोशिश की जाएगी, तो यह लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने के समान होगा। सरकार को इस मामले में शीघ्र और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
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