वीरांगना फूलन देवी की कस्बा सिधौली में मनाई गई जयंती

वीरांगना फूलन देवी: साहस, संघर्ष और सशक्तिकरण की प्रतीक
सिधौली सीतापुर
सूरज को कौन नहीं जानता? उसकी रोशनी अंधकार को दूर करती है, और उसकी ऊष्मा जीवन को संजीवनी देती है। ठीक वैसे ही, भारत की मिट्टी में जन्मी वीरांगना फूलन देवी ने अपने साहस और तेजस्विता से सामाजिक अंधकार को चीरते हुए एक नई मिसाल कायम की। वह केवल एक नाम नहीं, बल्कि नारी सशक्तिकरण का जीवंत प्रतीक थीं।
फूलन देवी का जीवन संघर्ष, अन्याय के विरुद्ध प्रतिरोध और आत्मसम्मान की रक्षा की अद्वितीय गाथा है। उन्होंने अपने जीवन में अत्याचार, शोषण और अपमान का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। जिन अत्याचारियों ने समाज के कमजोर वर्गों पर जुल्म ढाए, उन्हें उन्होंने स्वयं सजा दी। उनके इस साहसी कदम ने उन्हें विवादों के घेरे में भी रखा, परंतु यह भी निर्विवाद है कि उन्होंने वंचितों और पीड़ितों के लिए न्याय का स्वर बुलंद किया।
राजनीतिक जीवन में प्रवेश के बाद फूलन देवी ने संसद सदस्य के रूप में अनेक उल्लेखनीय कार्य किए। उनके प्रयासों से समाज के पिछड़े और शोषित वर्ग को आवाज मिली। उन्होंने संसद के पवित्र मंच का उपयोग करके समाज में बराबरी, सम्मान और न्याय की भावना को मजबूत किया।
इसी प्रेरणादायक व्यक्तित्व की जयंती सिधौली कस्बे के स्वामी विवेकानंद सामाजिक सेवा संस्थान में धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष आर. डी. वर्मा, डॉ. देवेंद्र कश्यप ‘निडर’, डॉ. राजवीर, चंद्रशेखर प्रजापति, मोहम्मद आसिफ सहित अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। कार्यक्रम में वक्ताओं ने फूलन देवी के जीवन संघर्ष और उनके योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।
यह आयोजन न केवल वीरांगना की स्मृति को ताजा करता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि अन्याय के खिलाफ उठाया गया साहसिक कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन सकता है। फूलन देवी का जीवन हमें सिखाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आत्मसम्मान और न्याय की रक्षा के लिए डटे रहना ही सच्ची
वीरता है।
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