लखनऊ के फौजी लान मे विख्यात कवि साहित्य भूषण कमलेश मौर्य मृदु की अध्यक्षता मे कवि सम्मेलन आयोजित किया गया

Jun 24, 2025 - 14:17
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लखनऊ के फौजी लान मे विख्यात कवि साहित्य भूषण कमलेश मौर्य मृदु की अध्यक्षता मे कवि सम्मेलन आयोजित किया गया

चंद्रशेखर प्रजापति

बिसवां -सीतापुर। बक्शी का तालाब लखनऊ के फौजी लान में जनपद के विख्यात कवि साहित्य भूषण कमलेश मौर्य मृदु की अध्यक्षता में शानदार कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। छठवीं आम की पार्टी में आयोजित इस कवि सम्मेलन में उन्होंने अपने आशु कवित्व का परिचय देते हुए धमाकेदार काव्यपाठ किया। मुख्य अतिथि प्रवीण सिंह चौहान निदेशक एस एस ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशन्स व संयोजक चेतराम अज्ञानी ने श्री मृदु जी क माल्यार्पण कर अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

मुख्य अतिथि सहित विशिष्ट अतिथि शेर बहादुर सिंह शेरा व संतोष कुमार वर्मा ने मां शारदे के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर कवि सम्मेलन का उद्घाटन किया। संचालन रायबरेली से पधारे ओज कवि नीरज पांडे ने किया। काव्य पाठ का शुभारंभ सीतापुर के जगजीवन मिश्र द्वारा प्रस्तुत वाणी वंदना से हुआ। उन्नाव से पधारे सतीश पाखंडी का लोकगीत " बलमा सीमा परिहन जायउ आपनि लैकै कुल्हरी।" बहुत सराहा गया। लखनऊ के वरिष्ठ कवि पत्रकार हरिमोहन बाजपेई माधव की गज़लों ने जमकर तालियां बटोरी। 

आज के दौर ने क्या क्या नहीं मंज़र देखे,

थे तो मासूम मगर हाथ में पत्थर देखे।

हाथ जो फूल बिछाते थे कभी क़दमों में, 

वक़्त बदला तो उन्हीं हाथों में ख़ज़र देखे।

 बाराबंकी से पधारे प्रखर ओजस्वी कवि शिवकुमार व्यास के छंद और मुक्तक बहुत सराहे गये। 

वीर बलिदानियों की जुबानी लिखो।

देश के शौर्य की तुम कहानी लिखो।

जब लिखो तब किसी पर मुरौवत नहीं,

दूध का दूध पानी का पानी लिखो।।

हास्य-व्यंग्य के कवि रामनगर से पधारे विकास सिंह ने सभी को जमकर हंसाया।

अध्यक्षता कर रहे कमलेश मौर्य मृदु ने आपरेशन सिन्दूर के परिप्रेक्ष्य में भारत के शौर्य पराक्रम और स्वाभिमान को रेखांकित करते हुए कहा 

मिलाकर आंख अब दुनिया से भारत बात करता है।

पटखनी पर पटखनी दे जो उससे घात करता है।

बुलेट एके सैंतालीस की पहले आयात करता था,

कि अब भारत वही ब्रह्मोस का निर्यात करता है।। 

कवि सम्मेलन के आयोजक फौजी ढाबे के संस्थापक धनपाल फौजी ने सभी का स्वागत किया व संयोजक चेतराम अज्ञानी ने आभार व्यक्त किया। सभी उपस्थित जनों ने कविताओं के साथ आम का आनन्द लिया।

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