सीतापुर आंगनवाड़ी भर्ती घोटाला: भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले पुष्पेंद्र प्रताप सिंह को नजरबंद कर प्रशासन घर को बनाया छावनी

चंद्रशेखर प्रजापति
सिधौली /सीतापुर।आंगनबाड़ी भर्ती घोटाले के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता पुष्पेंद्र प्रताप सिंह के निजी आवास ग्राम किंदोलिया थाना कमलापुर को पुलिस प्रशासन ने छावनी में तब्दील कर दिया है। प्रशासन द्वारा यह कदम उस समय उठाया गया, जब पुष्पेंद्र प्रताप सिंह ने आंगनबाड़ी भर्ती में करीब 15 करोड़ रुपए के घोटाले को उजागर करते हुए जिला प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। बताते चलें कि पुष्पेंद्र प्रताप सिंह ने 17 अप्रैल से विकास भवन सीतापुर में आमरण अनशन शुरू किया था। इस दौरान जिले के अधिकारीयों ने उन्हें एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई का आश्वासन देकर अनशन तुड़वाया था। लेकिन वादे के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
इसके बाद आक्रोशित आंगनबाड़ी आवेदिकाओं ने 24 मार्च को मुख्यमंत्री आवास की ओर पैदल मार्च का ऐलान कर दिया, जिसे बीच रास्ते में रोकते हुए जिला प्रशासन ने चार दिन में कार्यवाही का वादा किया, जो आज तक अधूरा है। जिला प्रशासन का रवैया, भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश की योगी सरकार की मंशा के विपरीत प्रतीत हो रहा है। पुष्पेंद्र प्रताप सिंह के अनुसार, आंगनबाड़ी भर्ती घोटाले में चयन समिति के सदस्य — सीडीपीओ, डीपीओ, सीडीओ और जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी — सीधे तौर पर संलिप्त हैं। पुष्पेंद्र ने स्पष्ट आरोप लगाए हैं कि पर्याप्त साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद कार्यवाही के नाम पर केवल कुछ निर्दोष लेखपालों पर ही कार्रवाई की गई, जबकि असली दोषी अब तक बचे हुए हैं। जैसे ही पुष्पेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री आवास के लिए पैदल मार्च का ऐलान किया, प्रशासन ने तुरंत उनके घर को छावनी में तब्दील करते हुए उन्हें बंधक बना लिया।
यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई, जिसके बाद सैकड़ों आंगनबाड़ी आवेदिकाएं, विभिन्न विकासखंडों — सिधौली, कसमंडा, खैराबाद, गोदलामऊ, मिश्रिख, हरगांव, पिसावां, ऐलिया, परसेन्डी, महमूदाबाद, महोली और सकरन — से पुष्पेंद्र प्रताप सिंह के समर्थन में उनके आवास पर एकत्र होकर प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगीं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर निष्पक्ष जांच हुई, तो जिले के कई शीर्ष अधिकारी भ्रष्टाचार के घेरे में आ जाएंगे। इसी डर से जिला प्रशासन सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रहा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह से एक जागरूक नागरिक की आवाज को दबाना बेहद निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण माना जा रहा है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या जिला प्रशासन इस घोटाले की निष्पक्ष जांच कराएगा या फिर आवेदिकाओं और सच की आवाज को कुचलने में कामयाब होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि यह मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में पहुंचेगा और पीड़ितों को न्याय मिलेगा।
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